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Supreme court stay order Haldwani Banbhoolpura (Hindi)

 




 


अनुवाद- डॉ० रिज़वान खान, फ़रीद अहमद 



आइटम नं० 39        कोर्ट नं० 2       सेक्शन  एक्स

सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया


कार्यवाही के रिकॉर्ड


(अपेक्षित अंतिम निर्णय और आदेश दिनांक 20.12.2022 से जारी WPPIL नं० 30/2022 उत्तराखण्ड हाई कोर्ट, नैनीताल)

अब्दुल मतीन सिद्दीक़ी (याचिकाकर्ता)

बनाम

भारत संघ एवं अन्य. (प्रतिवादी)

साथ में-

डायरी सं. 42509/2022, डायरी सं. 16/2023. डायरी सं. 542/2023, डायरी सं. 617/2023, डायरी सं. 619/2023 

दिनांक : 05-01-2023 इन याचिकाओं को आज सुनवाई के लिए बुलाया गया था।

कोरम:

            माननीय श्रीमान न्यायधीश संजय किशन कोल

            माननीय श्रीमान न्यायधीश अभय एस. ओका

वकील-याचिकाकर्ता-

श्री सलमान खुर्शीद, Sr. Adv.

श्री सिद्धार्थ लोथरा, Sr. Adv.

श्रीमती लुबना नाज़, AOR

श्रीमती सोम्या चतुर्वेदी, Adv.

श्रीमती आरुशी जैन, Adv.

श्री अक्षत कुमार, Adv.

श्री संदीप तिवारी, Adv.

 

श्री प्रशांत भूषण, AOR

श्रीमती रश्मि सिंह, Adv.

श्री रवि यादव, Adv.

 

डॉ० सुमन भारद्वाज, AOR

श्री विदांत भारद्वाज, Adv.

श्रीमती रिया यादव, Adv.

 

श्री कोलिन गोंसाल्वेस, Sr. Adv.

श्रीमती कुवलप्रीत कौर, Adv.

श्री पियूष गर्ग, Adv.

श्री सत्य मित्रा, AOR

 

श्री अभिजीत स्वरूप, Adv.

श्री अक्षय सपरा, Adv.

श्री अक्षंत कुमार, Adv.

श्री उत्कर्ष श्रीवास्तव, Adv.

श्री विनम गुप्ता, AOR

 

वकील- प्रतिवादी-

            श्रीमती एश्वर्या भाटी, A.S.G

            श्री मयंक पाण्डे, Adv.

            श्री कीतन पॉल, Adv.

            श्री केतन पौल, Adv.

            श्रीमती शिविका महरा, Adv.

            श्री दिग्विजय डी. , Adv.

            श्री मानवेन्द्र सिंह, Adv.

            श्री भुवन कपूर, Adv.

            श्री अभिजीत सिंह, Adv.

            श्री अमरीश कुमार, Adv.

 

श्री विपिन नय्यर, AOR

श्री P.B. सुरेश, Adv.

श्री P.b. सुरेश, Adv.

श्री कार्तिक जयशंकर, Adv.

श्री राजीव सिंह बिष्ट, Adv.

श्री अरिंधम घौष, Adv.

श्री विनायक मिश्रा, Adv.

श्री जितेन्द्र किमर सेठी, Dy. AG

उक्त की सुनवाई के बाद अदालत का निम्नलिखित –

                आदेश

विशेष अनुमति याचिका (सिविल) डायरी नं० 289/2023

एस.एल.पी. ( Special Leave Petition) दाख़िल करने की इज़ाजत के लिए आवेदनों की इज़ाजत है। आपेक्षित निर्णय के आधिकारिक अनुवाद और C/C को दाख़िल करने से छूट के लिए आवेदनों और तारीख़ों की लंबी सूची और अतिरिक्त दस्तावेज़ों/तथ्यों/अनुलग्नकों को दर्ज़ करने की इज़ाजत दी है

हमने पक्षकारों के फ़ाज़िल वकीलों को सुना है

फ़ाज़िल ए.एस.जी (Additional Solicitor General) ने रेलवे की जरूरत पर ज़ोर दिया है, लेकिन गौरतलब बात राज्य सरकार का भी रुख होगा कि क्या पूरी ज़मीन रेलवे की है या राज्य सरकार ज़मीन के एक हिस्से का दावा कर रही है। इसके अलावा पट्टेदारों/नीलामी ख़रीदारों के रूप में ज़मीन पर अधिकार का दावा करने वाले कब्ज़ाधारियों के मुद्दे भी हैं

जिस तरह से अपेक्षित आदेश में निर्देश पारित किया गया है हम उसके खिलाफ़ हैं क्यूंकि सात दिनों के भीतर 50 हज़ार लोगों को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता है। हमारा मानना है कि ऐसे लोगों को हटाने के लिए एक व्यावहारिक बंदोबस्त ज़रूरी है। जिनके पास ज़मीन पर कोई अधिकार नहीं हो सकता है और जिन्हें हटाया जाना है उन्हें पुनर्वास की योजनाओं के साथ जोड़ा जा सकता है जो रेलवे की ज़रूरत को पहचानते हुए पहले से ही मौजूद हो सकते हैं।

क्षेत्र में लोगों के पुनर्वास के साथ-साथ रेलवे को दी जाने वाली अपेक्षित ज़मीन के उद्देश्य को प्राप्त करने की कार्यप्रणाली पर ध्यान दिया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों के अनुसरण में “सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जेधारियों की बेदखली) अधिनियम के तहत कार्रवाई जोकि आदेशों में समाप्त हो गई है।  

बताया गया है कि कुछ अपीलें ‘स्टे’ के बिना लंबित हैं वो कार्यवाही चलती रहेंगी

 नोटिस जारी करें

फ़ाज़िल ए.एस.जी (Additional Solicitor General) ने रेलवे की तरफ से नोटिस स्वीकार किया श्री जतिंदर कुमार सेठी, उप-महाधिवक्ता जो कि कार्यवाही में शामिल हुए हैं दरअसल प्रतिवादी राज्य के लिए नोटिस स्वीकार करते हैं इस बीच सिर्फ विवादित आदेश (आदेशों) मे पारित निर्देशों पर रोक लगी है इसके साथ-साथ ज़मीन और/या निर्माण पर, किस भी तरह के कब्ज़े पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए चाहे मौजूदा कब्जाधारियों की तरफ से या किसी और की तरफ से हो

अगली तारीख- 07.02.2023


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 हिंदी अनुवाद में पूर्ण सावधानी बरती गई है. यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो कृपया कमेंट के माध्यम से सुधार करने का कष्ट करें 

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