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Social Change-2/ सामाजिक परिवर्तन-2



सामाजिक परिवर्तन

की विशेषताएं

-फ़रीद अहमद

 

(1) सामाजिक परिवर्तन एक विश्वव्यापी प्रक्रिया (Universal Process) है । अर्थात् सामाजिक परिवर्तन संसार के प्रत्येक समाज में घटित होता है । संसार  में ऐसा कोई भी समाज नहीं है, जो लम्बे समय तक स्थिर रहा हो या स्थिर है । यह संभव है कि सामाजिक परिवर्तन की गति कभी धीमी और कभी तीव्र हो सकती, किसी समाज में परिवर्तन धीमी गति से होता है  तथा  किसी समाज में परिवर्तन की गति तीव्र हो सकती  है  । लेकिन परिवर्तन समाज में चलने वाली एक अनवरत प्रक्रिया है।

(2) सामुदायिक परिवर्तन ही सामाजिक परिवर्तन है । अर्थात सामाजिक परिवर्तन का सम्बन्ध किसी विशेष व्यक्ति या समूह के विशेष नहीं होता है । सामाजिक परिवर्तन तो वास्तव् में वह परिवर्तन है जो कि सम्पूर्ण समुदाय के जीवन से सम्बंधित हो ।

(3) सामाजिक परिवर्तन के विविध स्वरूप होते हैं । प्रत्येक समाज में सहयोग, समायोजन, संघर्ष या प्रतियोगिता की प्रक्रियाएँ चलती रहती हैं जिनसे सामाजिक परिवर्तन विभिन्न रूपों में प्रकट होता है। परिवर्तन कभी एकरेखीय (Unilinear) तो कभी बहुरेखीय (Multilinear) होता है। उसी तरह परिवर्तन कभी समस्यामूलक होता है तो कभी कल्याणकारी। परिवर्तन कभी चक्रीय होता है तो कभी उद्विकासीय। कभी-कभी सामाजिक परिवर्तन क्रांतिकारी भी हो सकता है। परिवर्तन कभी अल्प अवधि के लिए होता है तो कभी दीर्घकालीन।

(4) सामाजिक परिवर्तन की गति असमान तथा सापेक्षिक (Irregular and Relative) होती है। समाज की विभिन्न इकाइयों के बीच परिवर्तन की गति समान नहीं होती है ।

(5) सामाजिक परिवर्तन के अनेक कारण होते हैं। समाजशास्त्री मुख्य रूप से सामाजिक परिवर्तन के जनसांख्यिकीय (Demographic), प्रौद्योगिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक कारकों की चर्चा करते हैं । इसके अलावा सामाजिक परिवर्तन के अन्य कारक भी होते हैं, क्योंकि मानव-समूह की भौतिक (Material) एवं अभौतिक (Non-material) आवश्यकताएँ अनन्त हैं और वे बदलती रहती हैं ।

 

(6) सामाजिक परिवर्तन की कोई निश्चित और सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है

(7) सामाजिक परिवर्तन अमूर्त होता है ।

(8) सामाजिक परिवर्तन एक जटिल तथ्य है ।

(9) सामाजिक परिवर्तन स्वाभाविक तथा अवश्यम्भावी होता    है।

(10) सामाजिक परिवर्तन तुलनात्मक तथा सापेक्ष होता है ।

विलबर्ट इ॰ मोर  (Wilbert E. Moore) ने आधुनिक समाज को ध्यान में रखते हुए सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं की चर्चा अपने ढंग से की है , वे हैं-

(a) सामाजिक परिवर्तन निश्चित रूप से घटित होते रहते हैं। सामाजिक पुनरुत्थान के समय में परिवर्तन की गति बहुत तीव्र होती है।

(b) बीते समय की अपेक्षा वर्तमान में परिवर्तन की प्रक्रिया अत्यधिक तीव्र होती है। आज परिवर्तनों का अवलोकन हम अधिक स्पष्ट रूप में कर सकते हैं।

(c) परिवर्तन का विस्तार सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों में देख सकते हैं। भौतिक वस्तुओं के क्षेत्र में, विचारों एवं संस्थाओं की तुलना में, परिवर्तन अधिक तीव्र गति से होता है।

(d) हमारे विचारों एवं सामाजिक संरचना पर स्वाभाविक ढंग और सामान्य गति के परिवर्तन का प्रभाव अधिक पड़ता है।

(e) सामाजिक परिवर्तन का अनुमान तो हम लगा सकते हैं, लेकिन निश्चित रूप से हम इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं।

(f) सामाजिक परिवर्तन गुणात्मक (Qualitative) होता है। समाज की एक इकाई दूसरी इकाई को परिवर्तित करती है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक पूरा समाज उसके अच्छे या बुरे प्रभावों से परिचित नहीं हो जाता।

(g) आधुनिक समाज में सामाजिक परिवर्तन न तो मनचाहे ढंग से किया जा सकता है और न ही इसे पूर्णतः स्वतंत्र और असंगठित छोड़ दिया जा सकता है। आज हर समाज में नियोजन (Planning) के द्वारा सामाजिक परिवर्तन को नियंत्रित कर वांछित लक्ष्यों की दिशा में क्रियाशील किया जा सकता है।

 


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