"अंगारे"
लेखकों का परिचय
'अंगारे'के कुल चार लेखक - सज्जाद ज़हीर, अहमद अली, रशीद जहाँ और महमूदुज्ज़फर हैं. इन सभी चरों लेखकों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है. ताकि पाठकों को 'अंगारे' जैसी चर्चित किताब की कहानियों तथा कहानियों के भाव तथा लेखकों की सामाजिक व मानसिक स्तर को समझने में आसानी हो सके.
1- सज्जाद ज़हीर
5 नवंबर 1905 ई० को लखनऊ के
मशहूर सामाजिक कार्यकर्त्ता और एक कामयाब वकील सर वज़ीर हसन के घर एक बेटे ने जन्म
लिया। जिसका नाम सज्जाद ज़हीर रखा गया। सज्जाद ज़हीर ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा
जुबली हाईस्कूल लखनऊ से हासिल की और यहीं से 1921 ई० में हाईस्कूल उत्तीर्ण किया।
इसके बाद क्रिश्चन कॉलेज में प्रवेश लिया। यहाँ उनके विषय इतिहास, अंग्रेजी व फ़ारसी
रहे। उन दिनों वह श्री मिश्रा और अन्य राष्ट्रवादी व्यक्तियों से बहुत प्रभावित
थे। वो खद्दर पहनते थे और मीट मांस के साथ साथ पलंग पर सोना भी छोड़ दिया था। उन
दिनों लखनऊ में सर वज़ीर हसन के छोटे बेटे की वतनपरस्ती और सादा जीवन के चर्चे आम
थे।
1923-24 ई० में
सज्जाद ज़हीर ने अंग्रेजी और फ़्रांसिसी साहित्य के अध्ययन पर तवज्जो की। ‘अनातोल फ्रांस’
(Anatole France) और बर्ट्रेंड रसेल (Bertrand Russell) उनके प्रिय साहित्यकार बन गए। उन्ही दिनों
सज्जाद ज़हीर ने मार्क्सवाद के अध्ययन की तरफ नज़रें कीं। 1926 ई० में लखनऊ विश्ववविद्यालय
से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर 1927 ई० में उच्च शिक्षा हेतु लंदन चले गए।
ऑक्सफ़ोर्ड
विश्वविद्यालय (University of Oxford) में सज्जाद
ज़हीर ने अर्थशास्त्र व अधुनिक इतिहास विषयों का चुनाव किया। ऑक्सफ़ोर्ड
विश्वविद्यालय में कुछ ही समय हुआ था कि क्षय रोग से संक्रमित हो गए। मजबूरन
स्विट्जरलैंड के सेनेटोरियम में जाना पड़ा। सेनेटोरियम के एक साल के समय को सज्जाद
ज़हीर ने फ़्रांसिसी भाषा व साहित्य के अध्ययन में लगा दिया। रूस क्रांति और साम्यवाद
पर उन्होंने कई किताबों का अध्ययन किया। पहली रूसी फिल्म भी उनको यहीं देखने को
मिली।
सज्जाद ज़हीर |
1929 ई० में
साइमन कमीशन के विरोध में जुलूस निकालने के जुर्म में पुलिस की लाठियां खाई और
1930 ई० में अपने कुछ साथियों की मदद से लंदन से एक अखबार “भारत” प्रकाशित किया।
1932 ई० में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने के बाद डेनमार्क,
जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली का सफ़र करते हुए भारत वापस आ गए और लखनऊ से “अंगारे” का
प्रकाशन किया जिसकी पाँच कहानियाँ उन्होंने स्विट्जरलैंड प्रवास के समय लिखी थीं।
“अंगारे” के
प्रकाशन के कुछ समय बाद सज्जाद ज़हीर अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए वापस लंदन चले
गए। ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री लेने के बाद 1935 ई० वापस भारत आए
और अंजुमन तरक़्क़ी पसंद मुसन्निफ़ीन (प्रगतिशील लेखक
संघ) की आधारशीला रखी जिसका पहला अधिवेशन लखनऊ 1936
ई० में हुआ, जिसकी अध्यक्षता मुंशी प्रेमचंद ने की। 1936 ई० में ही सज्जाद ज़हीर को
कांग्रेस की केन्द्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया तथा उत्तर प्रदेश
कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश सचिव की ज़िम्मेदारी दी। 1939 ई० को दिल्ली कम्युनिस्ट पार्टी का इंचार्ज नियुक्त
किया गया। इसी दौरान उर्दू की विख्यात कहानीकार रज़िया सज्जाद ज़हीर से शादी की।
दोनों साथ मिलकर कम्युनिस्ट पार्टी व
प्रगतिशील लेखक संघ में सेवाएँ देते रहे। 1940 ई० द्वितीय विश्वयुद्ध के समय विरोध
के चलते आपको गिरफ़्तार कर लिया गया और लखनऊ सेंट्रल जेल में दो साल क़ैद रहे। जेल
से रिहाई के बाद 1942 ई० में पार्टी के अखबार “क़ौमी जंग” के सिलसिले में मुम्बई गए
तथा 1949 ई० में पाकिस्तान जाकर कम्युनिस्ट पार्टी की बाग़दौड़ अपने हाथ में ली।
रावलपिंडी साजिश के तहत चार साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई। रिहाई के बाद 1956 ई० में
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के ‘कल्चर सेल’ का इंचार्ज बनाया गया। 1971 ईo में वियतनाम
तथा अफ्रीकी देशों का दौरा किया।
13 दिसंबर 1973 ई०
को सोवियत रूस में आपका देहांत हो गया। पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया और जामिया
मिल्लिया के कब्रिस्तान में सज्जाद ज़हीर को सुपुर्द ए खाक़ किया गया।
सज्जाद ज़हीर ने
कई राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय अधिवेशनों, सम्मेलनों में भाग लिया व प्रतिनिधित्व
किया जिसमें मुख्यतः 1935 ई० में world
congress of the writers for the defence of culture. 1936 ई० से लेकर 1966 ई० तक
अंजुमन के अधिवेशनों में भाग लिया। 1970 ई० में अफ्रीकी-एशियाई राइटर कांफ्रेंस
में मेज़बानी की तथा 1972 ई० में अफ्रीकी-एशियाई राइटर की पांचवी कांफ्रेंस, सोवियत
रूस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
सज्जाद ज़हीर ने
अलग अलग विधाओं में लेखन किया। आपकी रचनाओं में
“अंगारे” (कहानी संग्रह), “लंदन की एक रात”(नॉवल), रोशनाई (कहानी संग्रह), “बीमार”
(ड्रामा), “नुकूश ए ज़िन्दां” (पत्र), “मेरी सुनो” (ख़लील जिब्रान की किताब “The Prophet” का उर्दू अनुवाद), “पिघला नीलम” (शायरी)
“ज़िक्र ए हाफ़िज़” (आलोचना), “उर्दू का हाल और
मुस्तकबल” तथा “उर्दू हिंदी
हिन्दुस्तानी” आदि प्रमुख रचनाएँ हैं।
पत्रकार की
हैसियत से सज्जाद ज़हीर अखबार “भारत” (लंदन-1930 ई०), “चिंगारी” (सहारनपुर-1931 ई०),
“क़ौमी जंग” (मुंबई-1942 ई०), “अवामी दौर” (दिल्ली-1949 ई०), “हयात” (दिल्ली-1963 ई०)
सहित कई पत्र पत्रिकाओं से जुड़े रहे।
सज्जाद ज़हीर को
कम्युनिस्ट, क्रांतिकारी, कहानीकार व पत्रकार की हैसियत से अधिक जाना जाता है। जबकि
सज्जाद ज़हीर एक बेहतरीन शायर की हैसियत भी रखते हैं।
2- अहमद अली
अखिल भारतीय प्रगतिशील
लेखक आन्दोलन के संस्थापक सदस्य, उर्दू व अंग्रेजी साहित्य के माहिर, कवि,
उपान्यासकार, कहानीकार, अनुवादक, आलोचक, राजनयिक व विद्वान अहमद अली का जन्म 01
जुलाई 1910 ई० को दिल्ली में हुआ। प्रारम्भक शिक्षा दिल्ली और उच्च शिक्षा लखनऊ
तथा इलाहबाद विश्वविद्यालय से प्रात की।
1946 ई० तक अहमद
अली भारत के लखनऊ तथा इलाहबाद विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्यों से जुड़े रहे।
प्रेडेंसी कॉलेज कलकत्ता में अंग्रेजी के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष रहे तथा बंगाल
सीनियर एजुकेशन सर्विस में शामिल हुए। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आपको बीबीसी का
प्रतिनिधि व निदेशक बनाया गया।
ब्रिटिश कॉन्सिल की तरफ से आपको ‘नानजिंग विश्वविद्यालय’ चीन में ब्रिटिश काउंसिल
के विजिटिंग प्रोफेसर नियुक्त किया गया।
भारत विभाजन के
उपरान्त 1948 ई० को आपने भारत वापस आने की कोशिश की तो आपको भारत नहीं आने दिया
गया। तत्कलीन चीन में भारत के राजदूत के०पी०एस० मेमन ने आपको भारत लोटने की अनुमति
नहीं दी। और आप को पकिस्तान जाने पर मजबूर किया गया।
1948 ई० में अहमद
अली पकिस्तान आए और आपको पाकिस्तानी सरकार के लिए विदेशी प्रचार निदेशक के रूप में
नियुक्ति दी गई। 1950 ई० को तत्कलीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाक़त अली खान
द्वारा आपको पाकिस्तानी विदेश सेवा में सम्मिलित कर 1951 ई० को चीन में पकिस्तान का
राजदूत बनाया गया। एक राजदूत के तौर पर आपका कार्यकाल अत्यंत कुशल व औपचारिक
राजनियक संबंधों के प्रति रहा। आपने मोरक्को में दूतावास स्थापित करने विशेष
भूमिका निभाई।
अहमद अली |
अहमद अली एक कुशल राजनियक व सफल कूटनीतिज्ञ के साथ साथ कवि, अनुवादक, उर्दू व अंग्रेजी साहित्य के विद्वान् के रूप मेंजाने जाते हैं। आपने कई कहानियों, नॉवल की रचना की। आपकी पहली नज़्म “the lake of dream” जो कि अंग्रेजी भाषा में 1926 ई० में प्रकाशित हुई थी। 1932 ई० में आपने अंगारे के लिए कहानियाँ लिखीं। इसके अतिरिक्त “हमारी गली ” (कहानी संग्रह- 1934 ई०), “क़ैद खाना” (कहानी संग्रह- 1944 ई०), “मौत से पहले” (कहानी संग्रह- 1954 ई०)। आपकी मुख्य रचनाएँ हैं। 1940 ई० में अंग्रेजी नॉवल “twilight in delhi” लिखा जिसमें दिल्ली की औरतों की सांस्कृतिक समस्यों का सजीव चित्रण किया है। इस नॉवल की मकबूलियत इस बात से लागी जा सकती है कि अंग्रेजी के प्रसिद्ध उपान्यासकार एम्० फास्टर ने अपने नॉवल “A Passage of India” के प्रथम संस्करण में “twilight in delhi” नॉवल की खूब प्रशंसा की है। अहमद अली की पत्नी बिलक़ीस बेगम ने नॉवल “twilight in delhi” का उर्दू अनुवाद “दिल्ली की एक शाम” के नाम से किया। 1956 ई० में अहमद अली ने भारत विभाजन के विषय पर दूसरा नॉवल “Ocean of Night” अंग्रेजी भाषा में लिखा। 1984 ई० में अहमद अली ने “अल-क़ुरआन” नाम से क़ुरआन का समकालीन अनुवाद किया जिसको ऑक्सफ़ोर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया। अरबी तथा उर्दू के अतिरिक्त आपने कई दूसरी भाषाओँ जिसमें चीनी व इंडोनशियाई भाषाओं में भी अनुवाद किया है।
1971 ई० में पाकिस्तान
एकेडमी ऑफ लेटर्स के संस्थापक फेलो चुने गए। 1980 ई० में पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा
सितारा-ए-इम्तियाज (उत्कृष्टता का सितारा) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1993 ई०
में कराची विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। 14 जनवरी
2005 को, पाकिस्तान डाक विभाग ने अपनी
'मेन ऑफ लेटर्स' श्रृंखला के तहत अहमद अली के सम्मान में एक स्मारक
डाक टिकट जारी किया।
3- रशीद जहाँ
पेशे से चिकित्सक,
तबियत से प्रगतिशील लेखक, कथाकार व उपन्यासकार रशीद जहाँ का जन्म सर सैयद अहमद खाँ
के सहयोगी शैख़ अब्दुल्लाह के घर 25 अगस्त 1905 ई० में अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ।
प्रारम्भिक शिक्षा आपके पिता शैख़ अब्दुल्लाह के द्वारा बनाए गए महिला स्कूल अलीगढ़
में हुई। लखनऊ से आई० टी० कॉलेज में दो साल शिक्षा ग्रहण करने के बाद मेडिकल की
पढ़ाई के लिए दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया।1934 ई० में
मेडिकल की पढ़ाई पूर्ण कर डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। इसी वर्ष आपकी शादी लेखक व
इस्लामिया कॉलेज अमृतसर के प्रिंसिपल महमूदुज़्ज़फ़र के साथ हुई।
अमृतसर प्रवास के समय आपकी मुलाक़ात
‘फैज़ अहमद फैज़’, ‘तासीर’ तथा अन्य विद्वानों से हुई और तरक्कीपसंद तहरीक
(प्रगतिशील आन्दोलन) से जुड़ कर तहरीक की सरगर्मियों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
रशीद जहाँ |
रशीद जहाँ बहुत ज्यादा न लिख सकीं लेकिन जो कुछ भी लिखा वो अपने आप में बहुत
कुछ है। आपने कई ड्रामें लिखें और उन्हें स्टेज भी किया। आपका कहानी संग्रह “औरत”
1937 ई० में लाहौर से प्रकाशित हुआ। दूसरा कहानी संग्रह “शोला ज्वाला” आपके देहांत
के बाद 1968 ई० में प्रकाशित हुआ। पत्रिका “चिंगारी” से भी आप जुडी रहीं और
महिलाओं को मानसिक ग़ुलामी से जगाने के लिए कई लेख लिखे।
4- महमूदुज्ज़फर
महमूदुज़्ज़फ़र का
जन्म 1903 ई० में रामपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ। प्राथमिक शिक्षा रामपुर से
अंग्रेजी माध्यम से प्राप्त कर उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय गए। यहाँ
सज्जाद ज़हीर से मुलाक़ात हुई और लंदन की कांग्रेस पार्टी से जुड़ें गए । भारत आकर 1934 ई० में इस्लामिया कॉलेज अमृतसर में
प्रिंसिपल के पद पर अपनी सेवाएँ दीं। आपकी शादी उर्दू के प्रसिद्ध लेखिका रशीद
जहाँ के साथ हुई। 1956 ई० में आपका देहांत हुआ।
महमूदुज्ज़फर |
महमूदुज़्ज़फ़र की
जीवनी व साहित्यिक इतिहास का आभाव है। आपकी एक कहानी “जवा मर्दी” तथा एक
यात्रावृत्तान्त “quest for Life” के अलावा कोई और रचना अभी उपलब्ध नहीं है।
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