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Social Change-6/सामाजिक परिवर्तन-6

 


सामाजिक परिवर्तन

के अन्य सिद्धांत

-फ़रीद अहमद

 

     सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धांत तथा चक्रीय सिद्धांत के अलावा अन्य विद्वानों ने भी सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध में अपने अपने सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है 

1-माल्थस का जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत- माल्थस ने सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध में ‘जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत’ को में अपनी पुस्तक “Essay of Population”   में प्रस्तुत किया ।

माल्थस का मत है कि समाज में खाद्य पदार्थों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि तीर्व गति से होती है । जनसंख्या में वृद्धि ज्यामितीय प्रकार से अर्थात 2,4,8,16,32,64,128... क्रम में होती है । जबकि खाद्य पदार्थों में वृद्धि अंकगणितीय प्रकार से होती है अर्थात 1,2,3,4,5,6,7,8,9... के क्रम में होती    है ।  माल्थस के अनुसार किसी भी देश की जनसंख्या 25 वर्षों में दोगुनी हो जाती है , जिस कारण से भोजन वा प्राकृतिक साधनों में अंतर आ जाता है । जनसंख्या तथा खाद्य पदार्थों के बीच की खाई अधिक चौड़ी हो जाती है तथा भरण-पोषण के साधनों पर जनसंख्या का भार बढ़ता जाता है । इसके परिणाम स्वरूप पूरा समाज अमीर तथा गरीब वर्गों में विभाजित हो जात है , जो कि सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है ।

 

2-थॉमस का सिद्धांत-  थॉमस ने सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध में विभिन्न संस्कृतियों के मिश्रण तथा सात्मीकरण को सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी माना है ।

3-सैडलर का सिद्धांत-  सेडलर का  सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध में मत है कि जनसंख्या का सम्बन्ध मानव की सुख-समृद्धि और पारस्पारिक संबंधों से है । मानव के विकास के साथ साथ ही मानव की संतान उत्पत्ति में भी ह्वास होने लगता है । जिसके फलस्वरूप समाज में सामाजिक परिवर्तन की स्थिति अ जाती है ।

4- मैक्स वेबर का धर्म का सिद्धांत- मैक्स वेबर विश्व के 6 धर्मों हिन्दू, इस्लाम, यहूदी, इसाई, बौध तथा कन्फ्युशियस  का अध्ययन किया तथा धर्म को सामाजिक परिवर्तन का आधार माना है । वेबर का मत है कि यूरोप में जब रोमन कैथोलिक धर्म था तो समाज भिन्न प्रकार का था और जब यूरोप में  प्रोटेस्टेंट धर्म का उदभव हुआ तो वहां आधुनिक पूंजीवाद का उदय हुआ । मैक्स वेबर के अनुसार  सामाजिक परिवर्तन  का मुख्य कारण धर्म है ।

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